आखिर क्या है लोकों की सत्यता ?


आखिर क्या है लोकों की सत्यता ?
प्रतीकात्मक चित्र 

चाहे स्वयं  को हम, कितना ही शक्तिशाली  क्यों ना मान लें , लेकिन सत्यता यही है कि हम इस ब्रह्मांड का एक बहुत ही छोटा  अंश  है। यह एक बड़ा विषय है और इस तथ्य के आधार पर हम इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि असल में यह ब्रह्मांड कितना विस्तृत है। 


पुराणों में हम अकसर तीन लोकों के बारे में सुनते और पढ़ते आए हैं। स्वर्ग लोक, भू लोक और पाताल लोक। लेकिन शायद बहुत ही कम लोग जानते हैं कि ब्रह्मांड में तीन नहीं बल्कि दस लोक होते हैं। लोकों की कड़ी में सबसे ऊपर है सत्यलोक। इस लोक को ब्रह्मा का निवास स्थान माना जाता है। सत्यलोक से 12 करोड़ योजन (चार कोस का एक योजन) नीचे स्थित है. तपो लोक जहां चारों कुमार, सनत, सनक, सनंदन, सनातन रहते हैं। विष्णु के पहले अवतार माने जाने वाले ये कुमार, ज्ञान शक्ति को दर्शाते हैं। तपो लोक सत्यलोक से 8 करोड़ योजन नीचे स्थित है .महर्षियों की निवास भूमि, तपो लोक से 2 करोड़ योजन नीचे स्थित महर लोक भी महान ऋषि-मुनियों का घर है। इन दोनों लोकों पर रहने वाले ऋषि-मुनि भौतिक जगत और सत्यलोक में विचरण करने के लिए स्वतंत्र हैं।  स्वर्ग लोक 33 कोटि देवी देवताओं का स्थान है। यह स्थान पृथ्वी के बीचो-बीच स्थित मेरु पर्वत पर मौजूद है, जिसकी ऊंचाई अस्सी हजार योजन है।

धर्म ,लोकों की सत्यता
प्रतीकात्मक चित्र 


मनुष्य से थोड़ा ऊपर और देवताओं से नीचे की श्रेणी वाली शख्सियतें भुवर लोक में  रहती हैं। ये लोक देवताओं के संपर्क में रहते हैं और कभी-कभार मनुष्य लोक में भी विचरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। महर लोक से 1 करोड़ योजन नीचे है ध्रुव लोक, जहां आकाशगंगाओं, विभिन्न तारामंडलों का स्थान है।  ध्रुव लोक में वैकुंठ पूर्वी दिशा में स्थित है जिसे क्षीरोदित्य विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। ध्रुव लोक से 1 लाख करोड़ योजन नीचे स्थित है सप्तऋषियों का निवास स्थान जिसे सप्तऋषि लोक कहते हैं। हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण सात ऋषियों का समूह अनंत काल से इस लोक में रहता है।नश्वर लोक, जिसे भू लोक कहा जाता है, में पाप और पुण्य के फेर में उलझे इंसान रहते हैं जो पूरी तरह देवताओं और ईश्वर की निगहबानी पर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके अलावा हर वो चीज जिसका अंत एक निश्चित समय पर हो ही जाना है, भी इसी स्थान पर वास करती है।असुरों के शासन में पाताल लोक का संचालन होता है। इस स्थान पर सभी नकारात्मक ताकतें निवास करती हैं, जिनका स्वर्ग तक पहुंचने का रास्ता भू लोक से होकर गुजरता है।





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