पृथ्वी सीमित है, संसाधन सीमित हैं, लेकिन मनुष्य की सभ्यता की भूख से ऐसा लगता है, ये संसाधन काफी कम हैं। ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क (जीएफएन) इस बात आकलन कर रहा है कि हम पानी से साफ हवा तक धरती के संसाधनों का कितना उपयोग करते हैं,और वो संसाधन एक तय वक़्त से कितने समय पहले ख़त्म होते जा रहे हैं ।
हमारी पृथ्वी साल भर में जितने संसाधन पैदा करती है हमने उसको महज 7 महीनों में ही इस्तेमाल कर लिया है। एक बार फिर बता दें कि हमने साल भर के प्राकृतिक संसाधनों का कोटा सिर्फ 7 महीने में खत्म कर दिया है। हर साल ओवरशूट डे पीछे ही खिसकता जा रहा है यानी हम संसाधनों का इस्तेमाल बढ़ाते जा रहे हैं।
इंसानों ने प्रकृति की इस तरह की रिसर्च को 1970 के दशक में शुरू किया था, और हर साल, ओवरशूट की तारीख बढ़ती रहती है। 2018 में, यह 1 अगस्त थी।
हर पल मनुष्य संसाधन बचने की जगह इसका जरूरत से ज्यादा उपयोग करता जा रहा है।जीएफएन कहते हैं, कि अब एक पूरा वर्ष नेचुरल रिसोर्सेस को पुन: संयोजित करने के लिए प्रयाप्त नहीं हैं।"
2018 में, हम मनुष्य की जरूरतों को पूर्ण करने के लिए 1.7 धरती के नेचुरल रिसोर्सेस को उपयोग करेंगे। वर्तमान दरों पर, 2030 तक मांग को बनाए रखने के लिए दो पृथ्वी के बराबर नेचुरल रिसोर्सेस की आवश्यकता होगी। इसका मूलत: कारण वनों की कटाई, मछलियों को मारना , सूखे, और गैस उत्सर्जन है, जोकि बड़े पैमाने पर विस्थापन, आर्थिक क्षति, और ग्रहों में प्रजाति विलुप्त होने का कारण बनता है।
जीएफएन का अनुमान है कि 86% देश इस तरह के इकोलॉजिकल घाटे से अपने साधनों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। कुछ देश के हालत तो इससे भी बदतर हैं। अमेरिका का ओवरशूट का दिन 15 मार्च था ,यदि पूरी दुनिया अमेरिकियों की दर से नेचुरल रिसोर्सेस का उपभोग करती है, तो वो दिन दूर नहीं जब पूरी पृथ्वी के लोग अपनी जरूरत के नेचुरल रिसोर्सेस को साल के शुरुआत में ही ख़त्म कर लेंगे।
बड़े देश, जैसे अमेरिका और यूरोपियन देश, विकास की होड़ में सभी तरह के नेचुरल रिसोर्सेस का उपयोग समय से पहले ही कर रहे हैं,जोकि आने वाले समय के लिए एक खतनाक संकेत है. ये देश (अमेरिका,चीन,यूरोपियन संगठन )सबसे ज्यादा कार्बन डाई ओक्स़ाइड का उत्सर्जन करतें हैं, जो की न सिर्फ पृथ्वी के लिए हानिकारक भी है बल्कि आने वाले समय के लिए मुसीबत पैदा करने के लिए भी जिम्मेदार हैं।
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